निजीकरण ज़रूरी हो जाता है

 *#निजीकरण* 

1) जब रेलवे बुकिंग लाइन में 3-4 घण्टे से खड़े किसी मजबूर को नज़र अन्दाज़ करते हुए , कम्प्यूटर के सामने बैठी कर्मचारी मज़े में “Solitare “ खेलती है , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

2) बैंक की लाइन मे सुबह से खड़े एक ज़रूरतमंद को बैंक का सुस्त कर्मी सिर हिलाते हुए बोल देता है “कल आना “ , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

3) लाख रुपए या उससे भी ज़्यादा सेलरी पाने वाला एक अधिकारी छोटे - मोटे काम के लिए ग़रीब से ग़रीब आदमी से घूस माँगता है , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

4) अगर Air India की टिकट 7000/- की है , उसी रूट पर Indigo/ spiceJet की टिकट 2500/- की होती है और आपको फ़्लाइट भी समय से मिल जाती है , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

5) सरकारी अस्पतालों में दवा , सुई, सिरिंज, हर तरह की जाँच मुफ़्त या न्यूनतम मूल्य पर होते हुए भी जब समय पर मरीज़ को डाक्टर / दवाई / सुविधा मुहैया ना होने पर असमय मर जाता है 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

6) रेलवे में AC का किराया Flight ✈️ से भी महँगा होते हुए भी कोई ख़ास सुविधा ना मुहैया होने व 12-15 घण्टे ट्रेन  लेट होता है , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

7) किसी भी छोटे - बड़े काम के लिए लोग जब रोज़ सरकारी दफ़्तरों में अपनी चप्पलें घिसते हैं , और कभी साहब नहीं आते तो कभी बाबु नहीं आते कभी घूस इतना माँग लेते हैं कि सामने वाले के बजट से ही बाहर हो ,  

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

8)  जिस आदमी को बाज़ार से नमक उधार नहीं मिलता , उस आदमी को किसी सरकारी बैंक से अरबों का लोन मिल जाता , नेता या मैनेजर की सेट्टिंग से , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

9) 30-40 हज़ार रुपए की सेलरी पाने वाला सरकारी बाबू अपने 30-35 साल की नौकरी में 4-5 करोड़ तक की जमा पूँजी / ज़मीन / मकान / गाड़ी कर लेता है , 

*तो निजीकरण ज़रूरी हो जाता है ।*

10) और आख़िर में सबसे गहरी व ज़ोरदार चोट “सरकारी कर्मी काम ना करने की सेलरी लेते हैं और काम करने के लिए रिश्वत।

मैं एक Tax payer हूँ , और हर Tax सरकार को अदा करता हूँ 

मुझे सरकार से Tax के बदले अच्छी सड़क , समुचित विकास , स्वच्छ जल , अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था व सुरक्षित परिवेश आदि चाहिए । 

*लेकिन दुखद ये है कि इनमे से कुछ भी वक़्त पर नहीं मिलता है ।*

*अगर ये सारे काम सरकारी तन्त्र की जगह निजी तन्त्र व्यवस्थित ढंग से करें ...*

*तो मुझे क्या किसी को भी निजीकरण से कोई आपत्ति नहीं होगी ।*

👉और ये भाजपा या कोंग्रेस की बात नहीं , व्यवस्था की बात है ।

*इस संदेश से उपजे वैचारिक मतभेद पर कृपया व्यक्तिगत कटाक्ष न करे। अपने तर्क शालीनता से पटल पर रखें।

*जनता जनार्दन खुद तय कर लेगी कि निजीकरण उसे चाहिए या नहीं*।

😳🙄🚩

 बहुत ही यथार्थ। उदाहरणार्थ आज की तारीख में पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया देख लीजिए, बहुत ही सुगम व समय बद्ध। क्यों कि यह कार्य टाटा के पास है।


लेखक -अज्ञात 

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